ऑस्ट्रेलिया मे हुए आम चुनाव मे दक्षिणपंथी नेता " जान हॉवर्ड " और उनका दल बुरी तरीके से हार गया है। हॉवर्ड कि ये हार मानीखेज है। 11 साल तक गठबंधन सरकार चलाने वाले हॉवर्ड ने अपने शासन मे अमरीका कि चम्पुगीरी के अलावा कुछ किया भी नही था। दरअसल ये आम चुनाव हार्वर्ड कि नीतियों पर जनमत का फैसला है।
- चुनाव मे फतह पाने वाली "लेबर पार्टी " और उसके नेता "केविन रूड " अब सत्ता संभालेंगे। चुनाव के समय रूड ने "ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव कम करने का प्रयास ", " क्योटो प्रोटोकोल पर हस्ताक्षर करने" और " इराक से सेना वापस" बुलाने का दावा किया था।
- हॉवर्ड ने इमिग्रेशन को अश्वेतो और भूरो के लिए खासा मुश्किल बना दिया था। हार्वर्ड कि हार से भारत को भी फायदा होगा। इमिग्रेशन कानून ढीला होने भारतीयों का वहा जाना आसान होगा, वही "Atomic Enregy" के मुद्दे पर भी भारत को ज्यादा सहयोग मिलने कि उम्मीद है।
Monday, 26 November 2007
Saturday, 24 November 2007
आख़िर ये ही निशाना क्यो ?
नरोदा पाटिया से लेकर नंदीग्राम तक एक ही खास तबका निशाने पर है। दक्षिणपंथी हो वामपंथी सभी उन्हें अपने कब्जे मे लेने और घेटो मे रखने के लिए कोशिशे कर रहे है। दरअसल पूर्ण बहुमत पाए बुद्धदेव, मोदी कि तरह बरताव कर रहे है। २००२ मे भी कुछ ऐसा ही हुआ था। उस नरसंहार का सीधा असर चुनाव पर पड़ा और लोकतंत्र को धोखा देकर एक हत्यारा उस राज्य का भाग्यविधाता बन गया है।
- बंगाली भद्रलोक के कथित प्रतिनिधि बाबु बुद्धदेव भी प्रचंड बहुमत पाकर लगता है, निरंकुश हो गए है। यही वजह है कि अब वो राज्य के लोगो का बटवारा "अपने लोग" और " वो लोग" के तौर पर कर रहे है।
- दरअसल नंदीग्राम कि हिंसा हो या कोलकाता का हालिया उप्रद्रव, इन सबसे एक बात तो साबित हो ही गयी कि बंगाली समाज, को पिछले ३० सालो मे वामपंथियों ने "लाल " कर दिया है।
- जिस राज्य का "डीजीपी" प्रदेश कि कानून व्यवस्था ठीक रखने कि अपनी जिम्मेदारी छोड़ कर "एक मुसलमान, और एक हिन्दू" के बीच का विवाह, बरबाद करने पर तुला हो, वो पुलिस और वो डीजीपी तनाव और हिंसा के वक्त निरपेक्ष होकर काम कर सकेगा, इसकी गुंजाइश कम ही होती है।
- रिजवान, नंदीग्राम और कोलकाता कि घटनाओं के समय केन्द्र सरकार कि चुप्पी इसकी नपुंसकता प्रदर्शित करता है। दरअसल केन्द्र सरकार किसी काम कि नही है ये तो उसी वक्त पता चल गया था जब सारे सबूत होने के बाद भी इसने गुजरात कि सरकार को बर्खास्त नही किया।
- बंगाली भद्रलोक के कथित प्रतिनिधि बाबु बुद्धदेव भी प्रचंड बहुमत पाकर लगता है, निरंकुश हो गए है। यही वजह है कि अब वो राज्य के लोगो का बटवारा "अपने लोग" और " वो लोग" के तौर पर कर रहे है।
- दरअसल नंदीग्राम कि हिंसा हो या कोलकाता का हालिया उप्रद्रव, इन सबसे एक बात तो साबित हो ही गयी कि बंगाली समाज, को पिछले ३० सालो मे वामपंथियों ने "लाल " कर दिया है।
- जिस राज्य का "डीजीपी" प्रदेश कि कानून व्यवस्था ठीक रखने कि अपनी जिम्मेदारी छोड़ कर "एक मुसलमान, और एक हिन्दू" के बीच का विवाह, बरबाद करने पर तुला हो, वो पुलिस और वो डीजीपी तनाव और हिंसा के वक्त निरपेक्ष होकर काम कर सकेगा, इसकी गुंजाइश कम ही होती है।
- रिजवान, नंदीग्राम और कोलकाता कि घटनाओं के समय केन्द्र सरकार कि चुप्पी इसकी नपुंसकता प्रदर्शित करता है। दरअसल केन्द्र सरकार किसी काम कि नही है ये तो उसी वक्त पता चल गया था जब सारे सबूत होने के बाद भी इसने गुजरात कि सरकार को बर्खास्त नही किया।
Thursday, 8 November 2007
सुनो
" मुसलमानों एवं इस्लाम के बारे मे किसी प्रकार कि कटुता एवं दुर्भावना को अपनी वाणी अथवा वृति मे स्थान न दे, क्योंकि वे भी अपने राष्ट्र के अंग है। "
----पारदर्शक पत्रिका मे छपे ये शब्द संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के है।
----पारदर्शक पत्रिका मे छपे ये शब्द संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के है।
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