Saturday, 24 November 2007

आख़िर ये ही निशाना क्यो ?

नरोदा पाटिया से लेकर नंदीग्राम तक एक ही खास तबका निशाने पर है। दक्षिणपंथी हो वामपंथी सभी उन्हें अपने कब्जे मे लेने और घेटो मे रखने के लिए कोशिशे कर रहे है। दरअसल पूर्ण बहुमत पाए बुद्धदेव, मोदी कि तरह बरताव कर रहे है। २००२ मे भी कुछ ऐसा ही हुआ था। उस नरसंहार का सीधा असर चुनाव पर पड़ा और लोकतंत्र को धोखा देकर एक हत्यारा उस राज्य का भाग्यविधाता बन गया है।
- बंगाली भद्रलोक के कथित प्रतिनिधि बाबु बुद्धदेव भी प्रचंड बहुमत पाकर लगता है, निरंकुश हो गए है। यही वजह है कि अब वो राज्य के लोगो का बटवारा "अपने लोग" और " वो लोग" के तौर पर कर रहे है।
- दरअसल नंदीग्राम कि हिंसा हो या कोलकाता का हालिया उप्रद्रव, इन सबसे एक बात तो साबित हो ही गयी कि बंगाली समाज, को पिछले ३० सालो मे वामपंथियों ने "लाल " कर दिया है।
- जिस राज्य का "डीजीपी" प्रदेश कि कानून व्यवस्था ठीक रखने कि अपनी जिम्मेदारी छोड़ कर "एक मुसलमान, और एक हिन्दू" के बीच का विवाह, बरबाद करने पर तुला हो, वो पुलिस और वो डीजीपी तनाव और हिंसा के वक्त निरपेक्ष होकर काम कर सकेगा, इसकी गुंजाइश कम ही होती है।
- रिजवान, नंदीग्राम और कोलकाता कि घटनाओं के समय केन्द्र सरकार कि चुप्पी इसकी नपुंसकता प्रदर्शित करता है। दरअसल केन्द्र सरकार किसी काम कि नही है ये तो उसी वक्त पता चल गया था जब सारे सबूत होने के बाद भी इसने गुजरात कि सरकार को बर्खास्त नही किया।

3 comments:

Anonymous said...

नन्दीग्राम में जो हुआ वह तब भी होता जब वहाँ "खास" लोगो के स्थान पर "आम" लोग होते. जो गलत होता है वह हर हाल में गलत होता, उसी नजर से देखने की कोशिश करें.

Sanjeet Tripathi said...

अगर सरकारों की नपुंसकता यदि सिर्फ़ राज्य सरकारों को बर्खास्त करने या न करने से ही मापी जा सकती है तो हमारी कितनी ही केंद्र सरकारें ना जाने कितनी बार ही नपुंसक साबित हुई होंगी!!

sachchibaat said...

गुजरात के दंगों का सच गुजरात से बाहर के लोग जानते नहीं मीडिया ने जो झूठ प्रचारित कर दिया उसे ही सच मान कर अपनी राय बनाए बैठे हैं। न तो मोदी हत्यारा है और न ही वहाँ एकतरफा नरसंहार हुआ है जैसा अक्सर प्रचारित किया जाता है। गोधरा काण्ड के बाद अगले दिन जो थोड़ी बहुत प्रतिक्रया गुजरात में मुस्लिमों के विरुद्ध हुई उसके जवाब में अत्यन्त उग्र प्रतिक्रिया मुस्लिमों के द्वारा हुई जिसके जवाब में हिन्दू फिर से उग्र हुए, जवाब में मुस्लिमों ने जमकर टक्कर ली और इस प्रकार यह सिलसिला चलता रहा। इन दंगों में हिन्दू और मुसलमान बराबर मारे गए व बर्बाद हुए हैं। आज के फैशन के अनुसार सारा दोष हिन्दुओं पर मढ़ कर अपने को सैक्यूलर प्रमाणित करने की होड़ में पूरे मीडिया और राजनैतिक विरोधियों ने तथ्य छुपाये और झूठ परोसा और मीडिया की मक्कारी से अनजान गुजरात से बाहर देश की आम जनता ने उसे सच मान लिया।

आपको क्या लगता है देश भर में दो चार सो लोगों का गिरोह सच बोल रहा है और गुजरात के करोड़ों लोग जिन्होने वह त्रासदी झेली है तथा मोदी को प्रचन्ड बहुमत दिया है वह झूठे हैं या पागल हैं।