Friday, 6 July 2007

गोंड आदिवासी कला


गोंड जनजाति के कलाकार भले ही विदेशी भाषा नहीं जानते हो पर इनकी चित्रकला जर्मनी, इटली, फ्रांस और ब्रिटेन में पहुँच रही है और सराही जा रही है। जी हां, अब इन गोंड जनजाति को विदेशो मे पहचान मिल रही है।
- मिसाल के तौर पर, मध्य प्रदेश के मंडला जिले के सुनपुरी गाँव में जन्मी दुर्गाबाई की बनाई हुई तस्वीरें एक फ्रांसीसी किताब में छापी गई हैं जिसे अनुष्का रविशंकर और श्रीरीष राव ने लिखा है।
- अँगरेज़ी में बेगम रुकैया सख़ावत हुसैन के कहानी संग्रह 'सुल्तान ड्रीम' में भी दुर्गाबाई के चित्रों को देखा जा सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित एक अन्य गोंड कलाकार हैं भज्जू श्याम, भज्जू की तस्वीरों का एक संकलन 'द लंदन जंगलबुक′ के नाम से इटैलियन डच, फ्रेंच और अँगरेज़ी में प्रकाशित की जा चुकी है। इसकी अब तक तीस हज़ार से भी ज्यादा प्रतियां बेची जा चुकी हैं. इस किताब के लिए भज्जू को 'इंडिपेंडेंट पब्लिशर अवार्ड' भी मिल चुका है।
- कल तक मजदूरी कर किसी तरह जीवनयापन करने वाले ये गोंड अब अपने नैसर्गिक हुनर के जरिये कम से कम भूखे तो नही सो रहे है। हालांकि अभी आदिवासी क्षेत्रो मे इन्लोगो के जीवन मे अभी और विकास कि सम्भावना है। जरुरत है तो बस एक ईमानदार कोशिश कि, जिससे ये भोले लोग अपना भोलापन और सादगी बचा कर रख सके।

1 comment:

Anonymous said...

http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2007/07/070705_gond_art.shtml

भाई साहब
कई दिनों से देख रहा हूँ, इधर-उधर से उड़ाकर चेप देते हैं, मानो आपने लिखा हो। कुछ तो शर्म करिए, लिखने वाले का क्रेडिट तो मत लूटिए. आप क्या सोचते हैं कि और लोग नेट नहीं देखते, बीबीसी जैसी साईट नहीं देखेंगे और आपका ब्लाग देखलेंगे.