9 जुलाई को chhattisgarh के errabore मे पुलिस के गश्ती दल पर हमला हुआ था। CRPF के १६ जवानों सहित जिला पुलिस के जवान और SPO भी इस नक्सली हमले मे खेत रहे। मुझे अपने stringer और Bureau Head से मुझे जो खबर मिली उसके अनुसार ८०० कि तादाद मे नक्सलियों ने तलाशी अभियान से लौट रही पुलिस पार्टी पर हमला किया था। अपने हफ्तावार प्रोग्राम के लिए मैंने स्टोरी बनायीं जिसमे घटना का विवरण और राज्य मे बढती हिंसा पर जोर था। अपनी स्टोरी मे मैंने नक्सल समस्या के हल के लिए बंदूक के इस्तेमाल को ग़ैर जरुरी बताया, इसके साथ साथ विकास योजनाओ मे जनता कि सीधी भागीदारी और भूमि के समान वितरण को नक्सल समस्या के समूल खात्मे के लिये जरुरी बताया था। जाहिर सी बात है छत्तीसगढ़ मे हिंसा बढ रही है, इसका मतलब है कि वो जरुरी काम नही हो रहे है जो शासन को करने चाहिऐ थे। स्टोरी एडिट होकर तैयार थी के इसे अपने सिनिअर्स को दिखाने का हुक्म मिला ।
- स्टोरी preview करने के बाद मुझसे कहा गया कि" पहले नक्सलियों के साथ थे क्या। " मेरे जवाब मिलने से पहले ही हुक्म मिला के " स्टोरी सरकार और पुलिस के पक्ष मे करो।
- क्या करता, अगले आधे घंटे मे वो स्टोरी बदल चुकी थी।
-ऑफिस से लौटते वक्त मेरी जुबान पर ये शेर था.........
- स्टोरी preview करने के बाद मुझसे कहा गया कि" पहले नक्सलियों के साथ थे क्या। " मेरे जवाब मिलने से पहले ही हुक्म मिला के " स्टोरी सरकार और पुलिस के पक्ष मे करो।
- क्या करता, अगले आधे घंटे मे वो स्टोरी बदल चुकी थी।
-ऑफिस से लौटते वक्त मेरी जुबान पर ये शेर था.........
हाकिम कि तलवार मुक़द्दस होती है,
हाकिम कि तलवार के बारे मे मत लिखो।
वो लिखो बस जो भी अमीरे- शहर कहे,
जो कहते है दर्द के मारे मत लिखो।
1 comment:
कमअज़कम आप ने इस मजबूरी पर लिखा.. वरना लोग तो धीरे धीरे इसी के पक्ष में खड़े हो जाते हैं..मेरी शुभकामनाएं.. आप का मनोबल बना रहे..
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