Monday, 9 July 2007

शनि देव

शनिवार को ऑफिस आते हुए , करीब करीब हर चौराहे पर डब्बे मे तुडे मुड़े टिन के एक ढांचे को रखे , जो कडुआ तेल ( mustard oil) मे डूबा रहता, छोटे बच्चे खडे मिलते है। ये बच्चे शनि देव के नाम पर भीख मांगते है। भीख मे पैसे मिलते होंगे तभी करीब २ साल से इन्हें देख रहा हू। हर बार बच्चो कि भीड़ ज्यादा नजर आती है। शायद दिल्ली वाले ज्यादा धार्मिक है, या वो अंधविश्वाशी है। कुछ ऐसा ही नजारा आपको भी देखने को मिला होगा। रेल से आते हुए आप को सामने कि दीवारो पर " बाबा भूरे बंगाली " बाबा असलम बंगाली " के विज्ञापन मिलेंगे। इनमे आपकी सारी समस्या के हल का दावा किया जाता है। इन सब चीजों को देख कर लगता है कि आर्थिक विकास कि दौड़ मे शामिल इस इलाके के लोगो ने अपनी जड़ता और अंध विश्वास को नही छोड़ा है। कही ना कही ये सब इस बात का प्रमाण है कि हम लोग विज्ञानं सिर्फ पढ़ते है , उसे समझते नही और ना ही उससे कोई सीख लेते है। धार्मिक होना निपट निजी मामला है, इसमे किसी को कोई शक नही होगा। लेकिन जब धर्म कि आड़ मे व्यापार होने लगे और इस व्यापार मे मठाधिश हिस्सा लेने लगे तो ये स्वस्थ समाज के लक्षण नही होते।

4 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

मुश्किल यह है कि अब धर्म के नाम पर सिर्फ व्यापर ही हो रहा है. यह बात दिल्ली या हिंदुस्तान ही नहीं, गौर से देखें तो पता चलेगा कि दुनिया भर के लिए सही है.

mamta said...

अब तो नही पर करीब दस-पन्द्रह साल पहले हम लोगों की कॉलोनी (जी.के.) मे तो हर शनिवार को सुबह-सुबह जय शनि महाराज की आवाज लगाते हुए लोग घुमते थे।

Anonymous said...

Dharm ke naam par na jane kya kya becha ja raha raha hai...

dharm ke tekedar bhi chuppi shade rahte hai...woh to bas ise cash karna jante hain aur isme log bhi badi aasani se fas jaten hain...

Anubhav said...

Sirf Shanidev ke nam per Bhikh Magne wale gh Akele nahi hai. Yaha to Baba Log Kisi na Kishi Bhagwan, Thirthyatra, Bhandara ke liye Lalchi logo ki tarah muhmang Rupya Pana Chahte hai. Ye hamari kamjori hai ki ham Bhagwan ke nam per unhe tete rahte hai.