
दिल्ली मे आज कल बस मे सफ़र करना सिर्फ सफ़र नही बल्कि " suffer" करना है। दिल्ली सरकार ने अपने तुगलकी फैसले मे एकाएक सारी निजी बसो को बंद करवा दिया है। बहाना है इनकी रफ़्तार पर रोक लगाने का, जिसके बारे मे लाल बत्ती मे घूमने वालो का कहना है कि ये जानलेवा है। हालांकि आकडे बताते है कि निजी बसो जिस तरह सड़को को रौंदती है, आम लोगो को कुचलती है, DTC उससे पिछे नही है। डीटीसी का स्टाफ वैसा ही रुखा और बेहूदा होता है जैसा ब्लू लाईन का।
- आज हालत ये है कि आप घंटो स्टाप पर खडे है और सडक से बस नदारद है। दिल्ली कि करीब ६७ फीसद जनता निजी परिवहन का उपयोग करती है। सरकार के एकाएक तुगलकी फैसले ने सफ़र करना मुश्किल बना दिया है।
- इस हो हल्ले मे सबसे ज्यादा पीसी जा रही है वो कामकाजी महिलाये जो हर दिन इन बसो का इस्तेमाल करती है। ये जानकर भी कि इस बस मे जाने का मतलब है, अपनी बेइज्जती करवाना, ये मेहनतकश महिलाये सफ़र करने को मजबूर है।
3 comments:
सरकार तो तब समझे जब वो खुद कभी इन बसों मे सफ़र करे।
हलो Kamran भाई,
मैं हिन्दी सिखने के लिए इस पॉस्ट के बारे में कुछ लिखना चाहता हूँ जिसमे एक संक्षेप के साथ मैं अँग्रेज़ी में कुछ ख़त दूँगा, और एक शब्दावली। इस के लिए मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि तुगलकी, आकडे, और हो हल्ला का क्या-क्या मतलब है? आपका पॉस्ट मुझे बहुत-ही अच्छा लगा, और मैं सोचता हूँ कि हिन्दी छात्रों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद हो सकता है। आपकी मदद से मुझे बहुत ख़ुशी होगी। मेरा ई-मेल है greg.goulding@gmail.com, या आप एक टिप्पानी लिख सकते हैं मेरे ब्लॉग पे। बहुत शुक्रिया!
कामरान भाई वाजिब चिंतन है !
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