10 अगस्त को busstand पर उतरने के बाद लगा कि शायद अँधेरे मे अपने stand से आगे या पिछे उतर गया हु। हरदम गुलजार रहने वाली जगह पर शमशान जैसे खामोशी थी। रात को वैसे तो इस इलाके मे लौटती गाडियों कि भीड़ लगी रहती है। लेकिन आज सवारिया भी कम थी। दरअसल यहा कभी सब्जी मंडी हुआ करती थी। शाम के वक्त यहा लोगो कि भरी भीड़ होती थी। सब्जी बेचते लोग, किस्म किस्म कि आवाजे निकालते थे। इन सब्जी वालो से इनकी सब्जियों कि कीमत को लेकर जिरह करती औरते । पुरे इलाके मे एक अजब किस्म का शोर होता था। ये शोर कही से भी परेशान करने वाला नही होता था। लेकिन अब यहा नीम खामोशी पसरी रहती है।
15 अगस्त आकर चला गया। सोचा था कि शायद इन्हें यौमे आजादी तक के लिए हटाया गया है। स्वतंत्रता दिवस के बाद सब्जी बेचने वाले फिर वापस आ जायेंगे। लेकिन इस ब्लॉग को लिखते वक़्त तक वो जगह वीरान ही पडी है।
सीन 2 -११ अगस्त से १७ अगस्त तक करीब २५ हजार कि आबादी के लिए सब्जी और खाने पीने कि दुसरी चीजो कि जबर्दस्त किल्लत हो गई थी। १८ अगस्त को कुछ सब्जी वालो ने निचली गली मे अपना ठेला लगाया। जाहिर है, पहले जिन लोगो को सब्जी लेने दूर जाना पड़ रह था, उनके लिए ये ठेले बड़ी राहत का बायस थे। लेकिन ये आराम ज्यादा दिन का नही था। २० अगस्त को लोकल थाने के सिपाहियों ने बिल्कुल गुंडों कि तरह सब्जी बेचने वालो पर हमला किया, कई सब्जीफरोश घायल हो गए। अगले दो तीन दिन तक वहा कोई सब्जी वाला नजर नही आया।
सीन 3 -
- दिन २२ अगस्त
निचली सड़क कि गली नंबर २३ के मुह पर भरी भीड़ थी। लोग किसी दुकान मे घुसने के लिए मारा मारी कर रहे थे। जो नही घुस सके थे, वो दुकान के बाहर रखी "Aquaphina" का पानी पी कर, फिर अन्दर जाने कि कोशिश कर रहे थे। दरअसल निचली सडक कि उस गली के बाहर "6 Ten" का स्टोर खुल गया था। इस स्टोर मे सब्जी बेचने कि दुकान खुली थी।
----यानी १५ अगस्त के नाम पर सब्जी फरोशो को बेरोजगार कर, पिछले दरवाजे से स्टोर को बुलावा भेजा गया था। करीब २०० सब्जी फरोशो कि कीमत पर "6 Ten" को यहा सेट किया गया। यानी १५ अगस्त को एक अंग्रेजी हुकूमत की वापसी कि खुशिया तो मनाई गई। वही यहा एक और " कम्पनी" वापस आ गई।
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