कुछ मसरूफ था इस लिए ब्लॉग नही लिख सका। ज्यादा दिन नही हुए जब बंगलादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन पर हैदराबाद मे हमला हुआ। ये हमला उन कमजोर लोगो ने किया है जिनके पास तस्लीमा कि बातो को काटने का और कोई हथियार नही है। तस्लीमा ने जो कुछ भी लिखा हो, वो गलत है या सही इस पर अभी बात नही करनी है। लेकिन तस्लीमा पर हुआ हमला ठीक वैसा ही है जैसा बजरंगी या शिव सैनिक मकबूल फ़िदा पर करते है या सयाजी विश्वविद्यालय मे।
- सभ्य समाज को ऐसी हरकतों का पुरजोर एह्तेजाज करना चाहिऐ। हम अपनी संस्कृति और धर्म के मामलो मे उन ठेकेदारों को कतई बर्दाश्त नही कर सकते जो धर्म और संस्कृति के बारे मे रत्ती भर भी नही जानते।
Tuesday, 14 August 2007
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1 comment:
Kya taslima per hamla ka charcha bina bajrang dal ya shiv shainik ya makbul fida hussain ka naam liye pura nahin ho sakta?????? jab bhi aap jaise dharmnirpech log is tarah ki baaten karte hai to udharan (Example) (Gujrat, Shiv sainik Bagrangdal) jaroor dete hai isse unki dharm nirpchta per shak hota hai.
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