Wednesday, 29 August 2007

ज्यादती या मनोरंजन


मंगलवार को भागलपुर मे एक चोर के पकड़े जाने और उस बाद जो ड्रामा हुआ और सहरसा के DM द्वारा बिहार के CM को पहचानने से इनकार किया जाना, बिहार मे प्रशानिक तंत्र कि कि आम लोगो से विमुखता का जीता जागता प्रमाण है। नितीश कुमार को शायद पता तो होगा ही लेकिन उन्हें पहली बार इस बात का इल्हाम हुआ होगा कि उनके अधिकारी कितने असंवेदनशील है। जब एक जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री से सीधे मुह बात नही करता, तो वो बाढ़ से घिरे लोगो से किस क़दर पेश आता होगा ये बात शायद किसी से छुपी नही है। ऐसे भी बाढ़ आने के बाद राहत कार्य करवाने मे DM बहुत मसरूफ रहते है। यही वो मौका होता है जब एक DM लाखो रुपए "जरूरतमंद" लोगो तक पहुचाता है। ऐसे मे CM ने उसे फ़ोन करके परेशान ही किया है।

- भागलपुर मे पुलिस कि मौजूदगी मे जो कुछ हुआ, कम से कम वो सब भागलपुर पुलिस के लिये नया नही है। ऐसा ही कुछ इनलोगों ने " अख् फोरवा काण्ड" के दौरान किया था।

- इस लिये भाई लोग पुलिस और DM साहब से बच कर। इन्हें आप "Public Servant" नही समझे। ये लाट साहब है। ये जो चाहे कर सकते है।

- एक और बात जो भागलपुर काण्ड के दौरान दिखायी देती है वो ये कि आम लोगो ने कैमरा देख कर कुछ ज्यादा ही मर्दानगी दिखा दी। और इन सब को कैमरे के जरिये शूट किया जाता रहा।

4 comments:

Udan Tashtari said...

कल ही टीवी पर देखा. अमानवीय!!

राज भाटिय़ा said...

ज्यादती उस चोर के साथ, मनोरंजन उन हिज्डो के लिय जो केमरे के सामने मर्द बने थे,शर्म हमे आ रही हे,इस अमानवीयत को देख कर.

परमजीत सिहँ बाली said...

अमानवीय कृत हमने भी देखा था।

ghughutibasuti said...

जो हुआ वह शर्मनाक था । जो भी इसे उचित ठहराता है उसे सोचना चाहिये कि कभी गल्ती से वे भी ऐसी स्थिति में पहुँच सकते हैं । हममें से कौन दूध का धुला है जो किसी और को दोषी ठहरा सकता है व न्याय को अपने हाथ में ले सकता है ?
घुघूती बासूती