किसे है , मुझे है, आपको है ------------
हर उस बन्दे को है जो DTC के बस मे सफ़र करता है।
- उस असुविधा के लिये जो फटे गद्दो और टूटी सीटो पर अपना वक्त गुजारने से होता है।
- उस असुविधा के लिये जो फटे गद्दो और टूटी सीटो पर अपना वक्त गुजारने से होता है।
- उस असुविधा के लिये जो उसे सवारियो से भरी बस मे आगे के दरवाजे से आ जाने के बाद टिकट लेने के लिये हुई मारामारी से होता है।
- उस असुविधा के लिए जब महिलाओ के लिए आरक्षित सीट पर पुरुष सवार हो जाते है।
- उस असुविधा के लिए जब आप बस मे टिकट ना ले सके और चेकिंग हो जाये।
- उस असुविधा के लिए जब बारिश हो रही हो और आप कि सीट का शीशा टुटा हो।
- उस असुविधा के लिये जब किसी सीट पर खुबसुरत बाला ( like मधुबाला ) विराजमान हो, और आप के वहा तक पहुचने से पहले कोई दुसरा वह पर विराज जाये।
- उस असुविधा के लिये जब दफ्तर मे डाट सुनने का अंदेशा हो और बस स्टोप पर बिना रुके निकल जाये।
- उस असुविधा के लिए जो किसी और के लिए सुविधा हो सकती है। सवार हुए बटुए के साथ - पर उतरे खाली जेब के साथ।
- उस असुविधा के लिए जब आप कि बोतल मे पानी ना हो और बस जाम मे फँस जाये।
- उस असुविधा के लिये जब ऑफिस जाने कि जल्दी हो और बस खराब हो जाये, या बस पंक्चर हो जाये।
- उस असुविधा के लिए जब आप नहा कर न जा रहे हो, आपने शेव ना बनाईं हो और बगल कि सीट पर एक हसीना आ जाये।
- उस असुविधा के लिए जब बगल सीट पर बूढी बैठी हो।
- उस असुविधा के लिए जब बस मे कोई दुर्घटना हो जाये और आपातकालीन दरवाजा लॉक हो।
-----------तो भाई असुविधा बहुत हो गई। अगली बार सुविधा पर बात होगी। तब तक जय राम जी की।
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