Saturday, 26 May 2007

असुविधा के लिए खेद है




हाल ही मे अपने कुछ दोस्तो के साथ मनाली जाने का मौका मेला। हम ४ लोग थे। हमने अपनी शिफ्ट इस तरह से सेट कि की रात १२ बजे हम लोग अपने ऑफिस से निकले। करीब आधा सफ़र हमने रात मे पुरा किया क्योकि हम चाहते थे कि मनाली पर जाने के रास्ते मे मिलने वाली हसीन नज़ारे हम से मिस ना हो। हुआ भी कुछ ऐसा ही। सर्पिली सड़क पर हमारी जिप्सी बल्खाते हुए चल रही थी।

यहाँ हमे कई जगह " असुविधा के लिए खेद है" लिखा मिला। हालाकि ये असुविधा हमारी सुविधा के लिए थी। लेकिन गम्भीरता से सोचा जाये तो हिमाचल प्रदेश मे विकास के नाम पर paharo के सिने पर बारूद से विस्फोट करना कहा तक सही है। हमारे विकास कि गरमी से जहा एक तरफ हिमशिखर पानी बन बहते जा रहे है। वही दुसरी तरफ सुविधा के नाम पर "असुविधा के लिए खेद है" का खेल बचे खुचे हिमशिखर को भी लील जाएगा।
जरा इन पर नजर डाले ----------

---- गढ़वाल हिमालय का गंगोत्री ग्लेशियर २५ मीटर प्रति साल कि रफ़्तार से घट रह है।
----- आज paharo कि नदी ghatio मे कम से कम १२२ बिजली परियोजनाओ पर काम चल रहा है। इनके लिए लंबी सुरंगे खोदी जा रही है। और भारी भरकम मशीनों को प्रोजेक्ट्स पर पहुचाने के लिये रास्ते बनाए जा रहे है।
- experts का कहना है कि हिमाचल मे जल विद्युत कि capacity १५१०९ मेगावाट कि है। इन प्रोजेक्ट्स पर काम चल रह है। और इनके लिये ७०० किलोमीटर सुरंगे खोदी जानी है। Experts का ये भी कहना है कि इस राज्य मे ४०००० मेगावाट तक बिजली बनायीं जा सकती है। इसके लिये हजारो किलोमीटर सुरंगो कि जरुरत होगी। उस स्थिति मे यहाँ के करीब हर pahar के जिस्म पर छेद करना होगा।
- तो भाई बिजली तो चाहिय ही। तब ऐसी " असुविधा के लिये खेद होना " कोई गम्भीर बात नही होगी। है ना।