जिस वक्त UP के रिजल्ट आ रहे थे , उस वक्त UPA के नेता ' मुतुवैल करूणानिधि ' के राजनितिक सफ़र के ५० साल पुरा होने के जश्न मे शामिल हो chennai me थे । ५ दशक पहले तमिलनाडु मे शुरू हुआ परिवर्तन अब बिहार और UP मे नजर आने लगा है। विधान सभा मे बहुमत मिलने कि सुचना के बाद मायावती का सतीश मिश्रा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के साथ मीटिंग करना उस फोर्मुले कि झलक दिखाता है जो देश के सबसे बडे सूबे मे कामयाब हुआ।
हां तो भैया हाथी हिट हो गया , और कमल पिट गया, नेता जीं को तो हारना ही था। आज आया UP का result इस बात को और मजबूत करता है कि UP के लोग bjp और संघ परिवार के खीलाफ है। इसके अलावा bsp ने जो नया फार्मूला निकाला है दलित + मुस्लिम + ब्राहमण, का वो कम से कम Up मे तो सही हो ही गया। अब bsp अपने दम पर सरकार बनाएगी। ये कोई मामूली बात नही है कि bjp के UP करीब करीब सभी तजुर्बेकार नेता हार गए। इन नतीजो से ठाकुर राजनाथ सिंह की adayaksh कि कुर्सी ख़तरे मे आ गई है।
--दरअसल इस chunaao me BJP कि कमान संघ ने संभाल रखी थी । BJP कि हार दरअसल संघ कि हार है। राजनाथ मिटटी के माधो साबित हुए है। BJP और कॉंग्रेस का ये कहना कि ये नतीजे समाजवादी पार्टी के खिलाफ है, असल मे अपनी हार छुपाना है। बीजेपी तो पंजाब और उत्तराखंड के बाद अवध जीतने का सपना देखने लगी थी। मुसलमानो के खिलाफ CD लाना , समाजवादी पार्टी के खिलाफ नरमी, पैसे को पानी कि तरह बहाना यानी सारी तैयारी थी। लेकिन प्रदेश कि जनता ने एक बार फिर लोकतंत्र मे अपनी आस्था दिखा कर संघ और कॉंग्रेस के आम आदमी साथ होने के नारे कि हवा निकाल दी। बीजेपी को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। लगभग ७ फीसदी ज्यादा वोट पाकर मायावती ने इतिहास बना दिया। ये ७ फीसदी वोट मुसलमानो के है। इन्ही के बल पर मायावती ने पहले कि ९८ विधायको कि जगह २०८ विधायको को विधानसभा मे पंहुचा दिया। मुलायम सिंह यादव को भी .०२ फीसदी ज्यादा वोट मिले। कॉंग्रेस को .०१ फीसदी ज्यादा वोट मिले। लेकिन उनके विधायको कि तादाद २५ से २१ ही रह गई। बीजेपी कि तो लुटिया ही बह गई। उसे ३ फीसदी कम वोट मिले। और वह ८८ से गिर कर ४९ पर आ गई।
Saturday, 12 May 2007
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