अपनी एक दोस्त के कहने पर मैंने सिर्फ दो दिन पहले ब्लाग लिखना शुरू किया है। इन दो दिनों सच कहु तो ब्लाग का नशा हो गया है। अभी साल भर पहले पत्रकारिता का कोर्स पुरा किया है। कुछ महिने ' जनसत्ता' मे अंशकालिक संवाददाता रहने के बाद अभी एक जानी मानी संवाद समिति मे हु, और तन्खाह पा रहा हु। यहाँ का हर दिन कुछ नया सिखने को मिलता है। कुछ ऐसे दोस्त भी मिले जिन से मिलने पर दिल्ली मे अकेले रहने का एहसास नही होता।
ब्लाग के इस समुन्द्र मे नया गोताखोर हू। गलतियों के लिए माफी और बहुमूल्य सलाह के लिए स्वागत है।
अगर आपसब मेरे इस निवेदन को स्वीकारेंगे तो मुझे अच्छा लगेगा। हो सकता है कि इसके ज़रिए हम ब्लॅाग के अपने सभी साथियों के बीच कुछ रोचक जानकारी बांट सकें।
शुक्रिया
कामरान परवेज़
Sunday, 13 May 2007
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2 comments:
Aapka lekh padh kar laga ki sachmuch me pakrakarita me logo ka hujum glamour ke liye bhi aa jata hai. Lekin journalism ka aim kuch aur hi hai.
Bahut Aachha laga....keep writing..
SANDEEP DWIVEDI
मेरी और तुम्हारी कुसीॻ ज़रूर आस-पास होती थी। लेकिन हमारे विचारों की दूरीयां कम नहीं थी। फिर भी तुम मेरे प्रिय मिॼों की गिनती में दजॻ हो गए। हम दोनों ने इस बिचौलिऐ वाले ॿेॼ में प्रवेश किया जहां कुछ विचार बनने से पहले ही जड़ से ख़त्म कर दिऐ जाते हैं। ऐसे में तुम्हारे ब्लाग पर विचारों का मंच बनेगा। हम अपनी भड़ास निकाल सकेगें। आग की भट्टी में तपा कर कुछ नया बना सकेगें। ढ़ेरों शुभकामनाओं के साथ तुम्हारा मिॼ
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