Saturday, 26 May 2007

हैदराबाद बम विस्फोट




दिन - शुक्रवार , वक्त - जुमा कि नमाज का, मोबाइल नियंत्रित डिवाइस से विस्फोट। विस्फोट मे ११ मरे। फिर लोगो ने-? दुकानों से सामान लूटना शुरू किया। पुलिस ने गोली चला दी, ३ लोग मरे।
---एक के बाद एक जैसे कोई पटकथा चल रही हो। यानी सब कुछ पहले से सोचा समझा था। हालाकि ये अभी जाच का विषय है कि इसके पीछे कौन लोग है। लेकिन इन लोगो का क्या प्लान था इसमे कोई शक नही है। दो समुदाय के बीच नफरत फैलाना ही इसका मकसद था।
--जिस वक्त विस्फोट हुआ उस वक़्त मई भी दिल्ली कि एक मस्जिद मे नमाज पढ़ रह था। नमाज बाद जब एक होटल मे खाने गया तो ये खबर पता चली। एक सबसे तेज चैनेल का एंकर , teleprompter को देख कर चीख रह था। '' विस्फोट मे बाहरी हाथ है। लश्कर या सिमी कि साजिश है।'' यानी विस्फोट हुआ नही कि और इनलोगो को पता चल गया कि इसके पिछे कौन है। यही वो वक्त रहता है जब किसी खबर का विश्लेषण कर जनता को ये बताया जाये कि हुआ क्या है। और लोग शांति बनाए रखे। ये नही कि सबसे तेज़ के चक्कर मे जो मिले वो बोल दे। ऐसे भी किसी भी विस्फोट मे 'बाहरी हाथ' बता देना आज कल पुलिस और 'सबसे तेज ' जैसो का शगल बन चूका है।

1 comment:

अरविंद चतुर्वेदी said...

सब रंग फ़ीके हो चले हैं, इस कदर बाज़ार वाद हमारी खून में कुछ घुल चुका है। हमारी नैतिकता मर चुकी है। ख़ासकर इलैक्टोॺनिक मीडिया की तेज़ी तो सब पर भारी है। जो लोग इस मीडिया की सच्चाई से अनजाने उनके तैरते सवालोंं से बचने की फिराक में रहता हूँ। छोटे बच्चे को अब फिल्मी चैनलो से ज्यादा ख़बरिया चैनल भाने लगे हैं....और देखें भी क्यों ना शिल्पा की अदाऐं जो देखने को मिल जाती है। क्या कीजै अब इस बाज़ार वाद का। यह भी समाचार है। अकाल तख्त ने 22 मई को पंजाब बन्द का आहवान किया है। यह ख़बर बार-बार ऐसे दिखाई जाती है कि ख़बर कम आग में घी डालना ज्यादा। जी घुटता कभी-कभी बस हाथ मल कर रह जाते हैं। आख़िर पेट की भूख भी तो मिटानी है।