मलेशिया की शीर्ष नागरिक अदालत ने इस्लाम छोड़कर ईसाई बनी महिला की उस अपील को ख़ारिज़ कर दिया जिसमें उसके धर्मांतरण को क़ानूनी मान्यता देने की माँग की गई थी.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सिर्फ़ इस्लामिक अदालत ही लीना जॉय को इस तरह का पहचान पत्र रखने की इजाजत दे सकती है जिसमें उनकी पहचान मुसलमान के रूप में न हो।
पिछले छह साल से लीना ईसाई के रूप में मान्यता पाने के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़ रही हैं.
लीना का जन्म मुस्लिम परिवार में हुआ था और उनका पहला नाम अज़लिना जलानी था लेकिन 1998 में धर्मांतरण कर वह ईसाई बन गईं और अपना नाम भी बदल लिया.
शरीयत
मलेशिया की शरिया अदालत ने उनके धर्मांतरण को मान्यता देने से इनकार कर दिया था.
अब शीर्ष नागरिक अदालत ने भी साफ़ किया है कि उसे शरीयत के फ़ैसले को बदलने का अधिकार नहीं है.
हालाँकि शीर्ष अदालत का फ़ैसला एकमत से नहीं हुआ और तीन जजों की पीठ के दो मुस्लिम जज इस फ़ैसले से सहमत थे, जबकि गैर मुस्लिम जज ने इस पर असहमति जताई.
मलेशिया में मुसलमान बहुसंख्यक हैं.
- मलेशिया जैसे मुल्क मे शरिया अदालत का ये फैसला राजधर्म के खिलाफ है। जब वह किसी ग़ैर मुस्लिम को मुस्लिम बन जाने कि छूट है तो , सरकार को इस बात का भी इंतजाम करना चाहिऐ कि, जब कोई मुसलमान , किसी दुसरे धर्म को अपनाए तो उसे किसी तरह कि परेशानी ना हो। हालांकि मलेशिया अपने संविधान के मुताबिक इस्लामिक मुल्क है। लेकिन वहा जिस तरह का moderate islam लागु है , वही रहना चाहिऐ।
Saturday, 2 June 2007
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1 comment:
आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं । ऐसा ही कुछ अफगानिस्तान में भी हुआ था ।
घुघूती बासूती
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