Saturday, 16 June 2007

जनता का राष्ट्रपति


तो भाई प्रतिभा पाटिल, UPA कि उम्मीदवार बनी है , राष्ट्रपति पद के लिये। अगर अपने आप को सबसे तेज कहने वाले आज के ज़्यादातर न्यूज़ चैनेल्स कि माने तो, मोहतरमा प्रतिभा , जनता कि उम्मीदवार नही है। आप बोलेंगे कि तो कौन है जनता का उम्मीदवार?

- कुछ दिनों पहले करीब करीब सारे न्यूज़ चैनलो ने कलाम साहब को जनता कि पसंद बताया था। कलाम साहब को दुसरा मौका मिले, ये जनता चाहती है, ऐसा कहना था इन सबसे तेज चैनलो का। और ये बात बंधु लोग पुरी तैयारी के साथ बता रहे थे। इनका कहना था कि इन्हें " आम जनता" ने SMS और online के जरिये ये बात कही है। जनता कि आवाज ये कह रही है कि, अबकी बारी फिर कलाम।

- लेकिन ऐसा कहने वाले क्या जनता कि सही आवाज है। कितने के पास आज मोबाइल और इन्टरनेट है? और जिनके पास ये दोनो है, उनमे से कितने SMS भेजते है। आम मध्य वर्ग मे भी ऐसे भी लोग जो इन सब चीजो का इस तरह इस्तेमाल नही करते। क्या इन सारे SMS को आम जनता कि आवाज मान लिया जाए। दरअसल ये एसएमएस करने वाले छोटे से मध्य वर्ग के भी छोटे से हिस्से है, और ये इन लोगो का शगल है। दुर्भाग्य से ऐसा सबकुछ मीडिया लोकतंत्र के नाम पर हमे और आपको परोस रहा है। और ये सब पहली बार नही हो रहा है। मीडिया आम लोगो को बार बार धोखा दे रहा है। शायद आप को याद होगा कि कुछ दिन पहले आरक्षण के विरोध के नाम पर जो कुछ दिल्ली कि सड़को पर हुआ उसे आरक्षण के विरूद्व आम जनता का ग़ुस्सा बताया गया। इसमे उच्च शिक्षा पा रहे सैकड़ो विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था।
- पिछले १५ सालो मे आर्थिक नीतियों ने हमारे महानगरो मे विकास कि जो चकाचौध पैदा कि है, विरोध कर रहे विद्यार्थी उसी को विकास मान कर ये सब कर रहे थे। खैर ये बच्चे तो नादान है, या इन्हें सही जानकारी नही होगी। लेकिन उन अर्थशास्त्रियों का क्या जो देश कि एक फीसदी आबादी कि चकाचौंध को, उनकी समृधी को देश कि समृधी मानते है। इन अर्थशास्त्रियों को देश कि ८० फीसदी फटेहाल जनता से कोई मतलब नही है। ये लोग आज भी उसी तंगहाली मे जी रहे है, जैसे आर्थिक सुधार लागु होने के वक़्त जी रहे थे। iim, iit और मेडिकल का कोर्स करने वाले विद्यार्थी नही जानते कि इस देश कि असलियत क्या है। पिछले १५ सालो मे हुई तरक्की ही इनके लिये विकास है। और इस खुशफहमी को सबसे तेज मीडिया बनाए रखना चाहता है।
- एसएमएस भेजने वाले उसे मध्यवर्ग के लोग है जो पिछले १५ सालो मे चर्बिया गए है , और अब इस देश को चलाना चाहते है। ये आम चुनाओ के दिन , छुट्टी मनाते है , और एसएमएस भेज कर प्रत्याशी को जिताते है।

1 comment:

अनूप शुक्ल said...

एसएमएस भेजने वाले उसे मध्यवर्ग के लोग है जो पिछले १५ सालो मे चर्बिया गए है , और अब इस देश को चलाना चाहते है। ये आम चुनाओ के दिन , छुट्टी मनाते है , और एसएमएस भेज कर प्रत्याशी को जिताते है। ये बात सही कही आपने!