Wednesday, 27 June 2007

सिक्को का नया मोल

भाई लोग कभी सिक्को से दाढ़ी बनाईं है। " हां...हां ...बनाईं है भाई, तुम भी तो बनाते होगे। नाई के यहा सिक्के दे कर ही तो बनती है दाढ़ी।" बेशक बनती है पर तेजी से बदलती इस दुनिया मे जहा " Recycle" का जमाना है, कुछ भाई लोग गंदगी साफ कर रहे है........गंदगी नही साफ कर रहे है बल्कि सिक्के साफ कर रहे है।
----बंगलादेश सीमा पर सिक्को कि तस्करी हो रही है। बांग्लादेश में इन सिक्कों से रेज़र ब्लेड बनाए जा रहे हैं। इस तस्करी के कारण भारत के कई हिस्सों में सिक्कों की कमी हो गई है. हाल मे कोलकाता पुलिस द्वारा पकडे गए एक तस्कर ने इस बात का खुलासा किया है कि हमारे एक रुपए के सिक्के की कीमत दरअसल 35 रुपए जितनी है क्योंकि सिक्के से पाँच से लेकर सात ब्लेड बनाते हैं।
- इन इलाको मे सिक्के कि किल्लत से एक नई मुद्रा चलन मे आ गई है। सिक्कों की कमी से निपटने के लिए असम प्रदेश में चाय-बागान वाले अपने कर्मचारियों को कार्डबोर्ड या गत्ते से बनी सिक्कों की पर्चियाँ दे रहे हैं। इन पर्चियाँ पर लिखा रहता है कि ये पचास पैसे का सिक्का है,एक रुपए का या उससे ज़्यादा का। बागान के भीतर चीज़ें खरीदने या बेचने के लिए इन पर्चियों का इस्तेमाल किया जाता है।
- तो भाई बचा कर रखे अपने पास खुदरा पैसा। ये चिल्लर नही, बहुत काम कि चीज है। और अपने पास ज्यादा खुदरा पैसे नही रखे , वर्ना कल अखबारो मे ये शब्द मिलेंगे " पुलिस ने एक तस्कर को रंगे हाथो पकडा है। जिसके पास अठन्नी और चवन्नी मिली है।"

2 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

भई कामरान जी
अच्छी सूचनाएं दे रहे हैं. बतौर वैकल्पिक मीडिया ब्लोगिन्ग की यही सार्थकता भी है. बेहतर होगा कि इन कारणों की थोड़ी गहरी पड़ल की जाए और सरकार जो कुछ कर रही है उसकी असलियत जनता तक पहुँचाई जाए.

हरिराम said...

सिक्कों को गलाकर अधिक मूल्य हासिल करने की तरकीब काफी पुरानी है। इसलिए क्रमशः सिक्कों के लिए सस्ती से सस्ती धातु का उपयोग होने लगा है। पहले सोने के सिक्के चलते थे, सोने का भाव बढ़ा, लोगों ने गलाकर मोल वसूलना शुरू कर दिया तो चाँदी के निकाले गए। फिर ताम्बे के, मूल्यवृद्धि के कारण ताम्बा भी गलाया जाने लगा। फिर पीतल, फिर भारी जंगरोधी रांगे के, अन्त में स्टील के सिक्के बनने लगे। अब एक रुपये की स्टील का भाव भी एक रुपये के सिक्के के वजन से अधिक हो गया है। इसे भी गलाया जाने लगा है। इसलिए अब सरकार एल्यूमिनियम का एक रुपये का सिक्का निकाल रही है। एक दिन इसका मोल भी एक रुपये के मोल से ज्यादा हो जाएगा, तो उसे भी लोग गलाना शुरू कर देंगे।